श्राद्ध कर्म (गरुण पुराण सहित) - सम्पूर्ण विवरण
श्राद्ध कर्म (गरुण पुराण सहित) – सम्पूर्ण विवरण
परिचय:
श्राद्ध कर्म हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण विधि है जिसका उद्देश्य पितरों की आत्मा को तृप्त करना और उन्हें मोक्ष प्रदान करना होता है। जब किसी परिजन का देहांत होता है, तो उसके बाद विधिपूर्वक श्राद्ध करना अत्यावश्यक माना जाता है। गरुण पुराण के अनुसार, श्राद्ध कर्म से पितृलोक में बसे पूर्वजों को शांति और सद्गति प्राप्त होती है।
महत्त्व:
पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है
वंश में सुख-समृद्धि बनाए रखता है
पितृ दोष निवारण में सहायक
मोक्ष की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शक
कार्यक्रम में सम्मिलित विधियाँ:
पिंड दान – चावल और तिल से पिंड बनाकर पितरों को समर्पण
तर्पण – जल व तिल से पितरों का स्मरण कर तर्पण करना
श्राद्ध भोज – ब्राह्मणों को भोजन कराना
गरुण पुराण पाठ – मृत व्यक्ति की आत्मा की सद्गति के लिए गरुण पुराण का पाठ
हवन/पूजन – अग्नि में आहुति देकर आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्रार्थना
अवधि:
पूर्ण श्राद्ध कर्म एवं गरुण पुराण पाठ आमतौर पर 1 से 13 दिन में सम्पन्न होता है।
स्थान:
श्राद्ध कर्म आप अपने घर, किसी पवित्र स्थान या तीर्थ (जैसे प्रयागराज, गया, वाराणसी के पिशाचमोचन स्थल आदि) पर भी करवा सकते हैं।
विशेष सुझाव:
वाराणसी के पिशाच मोचन घाट पर श्राद्ध करने से पितरों को अत्यंत शांति और मुक्ति प्राप्त होती है। इस स्थान का उल्लेख गरुण पुराण व अन्य धर्मग्रंथों में भी आता है।
💰 शुल्क विवरण:
पंडित दक्षिणा: ₹15000
समग्री सहित: ₹10000
कुल: ₹25000 (स्थानानुसार परिवर्तनीय)
