त्रिपिंडी श्राद्ध का महत्व और विधि

त्रिपिंडी श्राद्ध का महत्व और विधि

(वाराणसी – पिशाच मोचन तीर्थ सहित)

🔱 परिचय:
त्रिपिंडी श्राद्ध एक अत्यंत महत्वपूर्ण पितृ कार्य है, जो तीन पीढ़ियों — पितृ, पितामह और प्रपितामह — की आत्मा की शांति हेतु किया जाता है। यदि किसी भी पूर्वज का विधिवत श्राद्ध न हुआ हो, या पितृ दोष की समस्या हो, तो यह अनुष्ठान अवश्य कराया जाना चाहिए।


📍 विशेष स्थान: वाराणसी का पिशाच मोचन तीर्थ

पिशाच मोचन, वाराणसी में स्थित एक अत्यंत पुण्यदायी और प्राचीन तीर्थ है, जिसे पितृ मुक्तिदाता तीर्थ माना गया है। मान्यता है कि यहां श्राद्ध करने से पितरों को तुरंत मोक्ष प्राप्त होता है, और पितृ दोष पूर्णतः समाप्त हो जाता है।


📅 त्रिपिंडी श्राद्ध कब करें?

  • श्राद्ध पक्ष (पितृपक्ष), अमावस्या, त्रयोदशी

  • सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण, या विशेष पर्वों पर

  • जब संतानहीनता, विवाह में विलंब, बार-बार बीमारियां या स्वप्न में पितृ दिखें


🔮 लाभ:

  • पितृ दोष से मुक्ति

  • संतान की प्राप्ति

  • विवाह और जीवन में रुकावटों का निवारण

  • समृद्धि, मानसिक शांति, और कुल उन्नति


🪔 विधि में सम्मिलित होते हैं:

  • तीन पिंड बनाकर विधिपूर्वक तर्पण

  • विशेष वैदिक मंत्रों से श्राद्ध

  • ब्राह्मण भोज और वस्त्र/दक्षिणा दान

  • तीर्थजल और पवित्र सामग्री से पूजन


💰 अनुष्ठान मूल्य विवरण:

  • पंडित दक्षिणा: ₹6000

  • समग्री शुल्क: ₹5000

  • कुल राशि: ₹11000 (सभी सामग्री सहित)


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